Sai Baba evening aarti lyrics : साईं बाबा की संध्या आरती भक्तों के द्वारा साईं बाबा की पूजा और आराधना के समय गायी जाती है और यह उनके श्रद्धा और आदर का प्रतीक होती है।
आरती साईबाबा (Aarti Sai Baba) : Sai Baba evening aarti lyrics
आरती साईबाबा । सौख्यदातार जीवा । चरणरजातली ।
द्यावादासा विसावा, भक्तां विसावा ।। आ० ।।ध्रु०॥
जाळूनियां अनंग । स्वस्वरूपी राहे दंग ।
मुमुक्षुजनां दावी । निज डोळां श्रीरंग । डोळां श्रीरंग ।। आ० ॥१॥
जया मनी जैसा भाव । तया तैसा अनुभव ।
दाविसी दयाघना । ऐसी तुझी ही माव ।। आ० ।।२।।
तुमचे नाम ध्याता । हरे संसृती व्यथा ।
अगाध तव करणी मार्ग दाविसी अनाथा ।। आ० ॥३॥
कलियुगीं अवतार । सगुणब्रह्म साचार ।
अवतीर्ण झालासे ।स्वामी दत्त दिगंबर ।।द०॥आ० ।।४।।
आठां दिवसां गुरूवारीं । भक्त करिती वारी ।
प्रभुपद पहावया । भवभय निवारी ।। आ० ॥५॥
माझा निजद्रव्यठेवा । तव चरणरजसेवा
मागणें हेंचि आतां । तुम्हां देवाधिदेवा ॥आ० ।।६।।
इच्छित दीन चातक । निर्मल तोय निजसुख ।
पाजावें माधवा या । सांभाळ आपुली भाक ।। आ० ।।७।।
आरती साईबाबा । सौख्यदातार जीवा । चरणरजातली ।
द्यावादासा विसावा, भक्तां विसावा ।। आ० ।।ध्रु०॥
शिरडी माझें पंढरपूर – अभंग (Shirdi Majhe Pandharpur) : Sai Baba evening aarti lyrics
शिरडी माझें पंढरपूर । साईबाबा रमावर । बाबा रमावर ॥१॥
शुद्ध भक्ती चंद्रभागा । भाव पुंडलिक जागा ||२||
या हो या हो अवघे जन । करा बाबांसी वंदन ।।३।।
गणू म्हणे बाबा साई। धांव पाव माझे आई ।।४।।
घालीन लोटांगन – नमन (Ghalin Lotangan) : Sai Baba evening aarti lyrics
घालीन लोटांगन, वंदीन चरण,
डोळ्यांनी पाहिन रूप तुझें ।।
प्रेमें आलिंगिन, आनंदें पूजिन,
भावें ओवाळिन म्हणे नामा ।।१।।
त्वमेव माता च पिता त्वमेव, त्वमेव बंधुश्च सखा त्वमेव ।
त्वमेव विद्या द्रविणं त्वमेव, त्वमेव सर्वं मम देवदेव ॥२॥
कायेन वाचा मनसेंद्रियैर्वा, बुध्दयात्मना वा प्रकृतीस्वभावात् ।
करोमी यद्यत्सकलं परस्मै, नारायणायेति समर्पयामि ।।३।।
अच्युतं केशवं रामनारायणं, कृष्णदामोदरं वासुदेवं हरिम् ।
श्रीधरं माधवं गोपिकावल्लभं, जानकीनायकं रामचंद्र भजे ।। ४ ।।
नामस्मरण (Naamsmaran) : Sai Baba evening aarti lyrics
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे ।
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हर हरे (इति त्रिवार)
नमस्काराष्टक (Namaskarashtak) : Sai Baba evening aarti lyrics
अनंता तुला तें कसें रे स्तवावें।
अनंता तुला तें कसें रे नमावें।।
अनंत मुखांचा शिणे शेष गातां।
नमस्कार साष्टांग श्रीसाइनाथा ।।१।।
स्मरावें मनीं त्वत्पदा नित्य भावें।
उरावें तरी भक्तिसाठी स्वभावें॥
तरावें जगा तारूनी मायताता। नमस्कार० ।।२।।
वसे जो सदा दावया संतलीला।
दिसे अज्ञ लोकापरी जो जनाला॥
परी अंतरी ज्ञान कैवल्यदाता । नमस्कार० ॥३॥
बरा लाधला जन्म हा मानवाचा।
नरा सार्थका साधनीभूत साचा।।
धरूं साइप्रेमा गळाया अहंता । नमस्कार ॥४॥
धरावें करींसान अल्पज्ञ बाला।
करावें आम्हां धन्य चुंबोनि गाला।।
मुखीं घाल प्रेमें खरा ग्रास आतां। नमस्कार ।।५।।
सुरादिक ज्यांच्या पदा वंदिताती।
शुकादिक ज़्यातें समानत्व देती।।
प्रयागादि तीर्थेपदीं नम्र होतां ।नमस्कार० ॥६॥
तुझ्या ज्या पदा पाहता गोपबाली।
सदा रंगली चित्स्वरूपी मिळाली।
करी रासक्रिडासवें । कृष्णनाथा । नमस्कार ।।७।।
तुला मागतों मागणे एक द्यावें।
करा जोडितों दीन अत्यंत भावें॥
भवी मोहनीराज हा तारिं आतां। नमस्कार 11८||
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