साई बाबा के 11 वचन (Sai baba ke 11 Vachan)हमें जीवन के हर समस्या, सार्थकता और मार्गदर्शन के बारे में सिखाते हैं। ये अमूल्य उपदेश हमें धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से अच्छे कर्मों की महत्वपूर्णता भी समझाते हैं। इस लेख में हम इन 11 वचनों की विस्तृत चर्चा करेंगे और साथ ही उनका महत्व भी समझेंगे।
साई बाबा के 11 वचन हिंदी में और उनका महत्त्व।
वचन 1 : “जो शिरडी मे आएगा, आपद दुर भगाएगा। “
शिरडी है साईं बाबा की पवित्र नगरी, जहां हर बीमारी का दवा है मंदिर की छाया। यहां आने वाले भक्तों को साईं बाबा की कृपा से हर संकट से मुक्ति मिलती है। शिरडी के धर्मस्थल पर खड़ी अपार शक्ति सभी संदेहों को दूर करती है। यह निर्मल नगरी है, जहां आत्मा को शांति और सुख मिलता है। यहां के श्रद्धालु भक्त हर विपत्ति से छुटकारा पाते हैं और नई ऊँचाइयों की ओर बढ़ते हैं। साईं बाबा की अनुग्रह से यहां के मंदिर भक्तों के दिलों की मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं और उन्हें आनंद और शांति प्रदान करते हैं। यहां जाकर सभी प्रकार की समस्याओं से छुटकारा मिलता है, और शिरडी में साईं बाबा की महिमा और अनंत शक्ति को अनुभव किया जा सकता है।
वचन 2 : “चढ़े समाधि की सीढ़ी पर , पैर तले दुख की पीढ़ी पर”
यह वचन का अर्थ है कि, साईं बाबा कहते हैं कि जब हम समाधि की सीढ़ी पर चढ़ते हैं, तब दुख की पीढ़ी हमारे पैरों के नीचे रहती है। यह वाक्य उनकी आध्यात्मिक साधना के माध्यम से हमें बताता है कि समाधि की प्राप्ति और साधना का मार्ग अवश्यंभावी रूप से दुख और कठिनाइयों को दूर करने वाला होगा।
वचन 3 : “त्याग शरीर चला जाऊंगा, भक्त हेतु दौड़ा आऊंगा। “
इस वचन का अर्थ है कि साईं बाबा कहते हैं कि वे अपने भक्तों के लिए शरीर को त्यागकर चले जाएंगे, लेकिन उनके भक्त की सहायता के लिए वे दौड़ते दौड़ते आएंगे। यह मानवीय शरीर की परिधि से पार करके उनके आत्मा की सेवा के महत्व को दर्शाता है। यह उनकी प्रेमभरी भक्ति और सेवा की प्रकाशित कहानी है जो उनके भक्तों को प्रेरित करती है।
वचन 4 : “मन में रखना दृढ़ विश्वास, करे समाधी पूरी आस। “
साईं बाबा कहते हैं कि हमें बाबा के प्रति मन में दृढ़ विश्वास रखना चाहिए और समाधि की पूर्णता की आस रखनी चाहिए। यहां समाधि की पूर्णता से आध्यात्मिक प्रगति और अनुभव की बात की जा रही है। हमें बाबा के प्रति मन में दृढ़ता से विश्वास करना चाहिए और बाबा और समाधि भक्तो की हर इच्छा पूरी करेंगे।
वचन 5 : “मुझे सदा जीवित ही जानो,अनुभव करो सत्य पहचानो।”
यह वचन का अर्थ है कि साईं बाबा कहते हैं कि हमें हमेशा मुझे जीवित समझना चाहिए, सत्य को अनुभव करके पहचानना चाहिए। यह उनकी आध्यात्मिक सत्यता की बात करता है, जो हमें उनकी उपस्थिति को सच्चा और जीवंत मानने की प्रेरणा देता है। यह वचन हमें उनके साथ संवाद करने, उनकी अनुभूति करने और अपने जीवन में उनके सत्य को पहचानने की प्रेरणा देता है। यह व्यक्तिगत संबंध और आध्यात्मिक अनुभव के माध्यम से हमें साईं बाबा के सच्चाई को समझने का आह्वान करता है।
वचन 6 : “मेरी शरण आ खाली जाये , हो तो कोई मुझे बताये।”
साई बाबा कहते हे की मेरी शरण आने वाले हर भक्त की इच्छाएं, दुख, तकलीफे में दुर करता हु, और मेरी शरण में आने वाले किसी भी भक्त को में खाली हाथ नहीं जाने देता।
वचन 7 : ” जैसा भाव रहा जिस जन का,वैसा रूप हुआ मेरे मन का। “
बाबा इस वचन में कहते हे की हर भक्त का मेरे प्रति जैसा भाव और भक्ति होगी उसे मेरा वैसा ही रूप में दिखूंगा।
वचन 8 : “भार तुम्हारा मुझ पर होगा,वचन न मेरा झूठा होगा। “
शिरडी साईं बाबा कहते हैं कि जब भी तुम मेरे पर अपना भार रखोगे, मैं उसे संभालूंगा और मेरा वचन कभी झूठा नहीं होगा। यह वाक्य उनकी सर्वोच्चता, वचनस्पदता और निर्विकारता को दर्शाता है। यह दिखाता है कि साईं बाबा हमारे सभी भारों को संभालने और हमेशा सत्य का पालन करने के लिए उपलब्ध हैं। उनका वचन सच्चा और प्रतिपालनीय है, जो हमें आश्वासन देता है कि वे हमेशा हमारे साथ हैं और हमारी देखभाल करेंगे।
वचन 9 : “आ सहायता लो भरपूर,जो मांगा वो नहीं हे दूर। “
साईं बाबा कहते हैं कि जब तुम सहायता के लिए आओगे, तो वह सहायता भरपूर और पूरी होगी। जो कुछ तुम मांगोगे, वह तुमसे दूर नहीं है। यह वाक्य उनकी करुणा, दया और अनंत सहायता की भावना को दर्शाता है। यह दिखाता है कि साईं बाबा हमारे प्रति करुणामयी हैं और हमेशा हमारी उद्धार के लिए तत्पर रहेंगे। उन्हें प्राप्त करने के लिए हमें बस उनसे सहायता के लिए आवागमन करना होगा।
वचन 10 : “मुझमे लीन वचन मन काया,उसका ऋण न कभी चुकाया।”
साईं बाबा कहते हैं कि “जो भी भक्त अपने तन और मन से मुझमे और मेरी भक्ति में लीन रहता हे ,उसका ऋण में कभी नहीं चूका सकता।” यह वाक्य हमें उनके वचनों की प्रामाणिकता, प्रतिष्ठा और प्रतिबद्धता को समझाता है। यह दर्शाता है कि हमें अपने वचनों के प्रति सत्यनिष्ठा और आदर्शों के प्रति पालन करना चाहिए। उनके वचनों के पालन का ऋण हमें सदैव अपने जीवन में बना रखना चाहिए।
वचन 11 : “धन्य धन्य व भक्त अनन्य, मेरी शरण तज जिसे न अन्य। “
इस वचन में बाबा कहते हे की धन्य हे वो भक्त जो अनन्य भक्ति भाव से मुझसे जुड़ते हे और मेरी शरण में आते हे उन्हें कही भी और जाने की कभी जरुरत नहीं पड़ेगी।
sai baba ke 11 vachan in hindi lyrics
निचे दिए (Sai baba ke 11 Vachan) कुल 11 वचन :
वचन 1 : “जो शिरडी मे आएगा, आपद दुर भगाएगा। ”
वचन 2 : “चढ़े समाधि की सीढ़ी पर , पैर तले दुख की पीढ़ी पर”
वचन 3 : “त्याग शरीर चला जाऊंगा, भक्त हेतु दौड़ा आऊंगा। “
वचन 4 : “मन में रखना दृढ़ विश्वास, करे समाधी पूरी आस। “
वचन 5 : “मुझे सदा जीवित ही जानो,अनुभव करो सत्य पहचानो।”
वचन 6 : “मेरी शरण आ खाली जाये , हो तो कोई मुझे बताये।”
वचन 7 : ” जैसा भाव रहा जिस जन का,वैसा रूप हुआ मेरे मन का। “
वचन 8 : “भार तुम्हारा मुझ पर होगा,वचन न मेरा झूठा होगा। “
वचन 9 : “आ सहायता लो भरपूर,जो मांगा वो नहीं हे दूर। “
वचन 10 : “मुझमे लीन वचन मन काया,उसका ऋण न कभी चुकाया।”
वचन 11 : “धन्य धन्य व भक्त अनन्य, मेरी शरण तज जिसे न अन्य। “
इन 11 वचनो के साथ आप को साई कष्ट निवारण मंत्र के बारे में जानना भी महत्वपूर्ण होता हे.
साई बाबा के 11 वचन हिंदी पीडीऍफ़। sai baba ke 11 vachan in hindi pdf
साई वचनो की हिंदी में एक पूरी किताब पीडीऍफ़ फाइल में अवेलेबल हे जिसे आप निचे दिए बटन से डाउनलोड करके साई की भक्ति में उपयोग कर सकते हे।
साई बाबा के 11 वचन मराठी में। sai baba ke 11 vachan in marathi
शिरडी साई बाबा के 11 वचन मराठी में.
वचन 1 : “शिर्डीस ज्याचे लागतील पाय । टळती अपाय सर्व त्याचे। ”
वचन 2 : “माझ्या समाधीची पायरी चढेल । दुःख हे हरेल सर्व त्याचे”
वचन 3 : “जरी हे शरीर गेलो भी टाकून । तरी भी धावेन भक्तासाठी। “
वचन 4 : “नवसास माझी पावेल समाधी । धरा दूढ बुद्धी माझ्या ठायी। “
वचन 5 : “नित्य भी जिवंत जाणा हेंची सत्य । नित्य ध्या प्रचीत अनुभवे।”
वचन 6 : “शरण मज आला आणि वाया गेला । दाखवा दाखवा ऐसा कोणी।”
वचन 7 : ” जो जो मज भजे जैसा जैसा भावे । तैसा तैसा पावे मीही त्यासी। “
वचन 8 : “तुमचा भी भार वाहीन सर्वथा । नव्हे हें अन्यथा वचन माझे। “
वचन 9 : “जाणा येथे आहे सहाय्य सर्वास । मागे जे जे त्यास ते ते लाभे। “
वचन 10 : “माजा जो जाहला काया वाचा मनी । त्याचा मी ऋणी सर्वकाल।”
वचन 11 : “साई म्हणे तोचि, तोचि झाला धन्य । झाला जो अनन्य माझ्या पायी। “
साई बाबा 11 वचन वीडियो। sai baba ke 11 vachan video
साई बाबा के 11 वचन कौन से हे ?
निचे दिए (Sai baba ke 11 Vachan) कुल 11 वचन :
वचन 1 : “जो शिरडी मे आएगा, आपद दुर भगाएगा। ”
वचन 2 : “चढ़े समाधि की सीढ़ी पर , पैर तले दुख की पीढ़ी पर”
वचन 3 : “त्याग शरीर चला जाऊंगा, भक्त हेतु दौड़ा आऊंगा। “
वचन 4 : “मन में रखना दृढ़ विश्वास, करे समाधी पूरी आस। “
वचन 5 : “मुझे सदा जीवित ही जानो,अनुभव करो सत्य पहचानो।”
वचन 6 : “मेरी शरण आ खाली जाये , हो तो कोई मुझे बताये।”
वचन 7 : ” जैसा भाव रहा जिस जन का,वैसा रूप हुआ मेरे मन का। “
वचन 8 : “भार तुम्हारा मुझ पर होगा,वचन न मेरा झूठा होगा। “
वचन 9 : “आ सहायता लो भरपूर,जो मांगा वो नहीं हे दूर। “
वचन 10 : “मुझमे लीन वचन मन काया,उसका ऋण न कभी चुकाया।”
वचन 11 : “धन्य धन्य व भक्त अनन्य, मेरी शरण तज जिसे न अन्य। “
साईं बाबा के 11 वचन का महत्व क्या है?
साईं बाबा के 11 वचन एक महत्वपूर्ण दिव्य मार्गदर्शन हैं जो हमसे और सभी साई भक्तो से शिरडी साई बाबा ने किये हे ,और यह हमें एक प्रेरणादायक, उदार और सफल जीवन जीने के लिए प्रेरित करते हैं। इन वचनों के माध्यम से, हम प्यार, सेवा, विनम्रता, सच्चाई, क्षमा, धैर्य और आंतरिक शांति जैसे गुणों को विकसित करते हैं। इन वचनों का अनुसरण करके हम खुद को एक उदार और समरसित व्यक्ति के रूप में समझते हैं और अपने आस-पास के लोगों के साथ सहयोग और समरसता का विकास करते हैं।
क्या साईं बाबा के वचनों का अनुसरण मुझे आध्यात्मिक विकास में मदद कर सकता है?
जी हां, साईं बाबा के वचनों का अनुसरण आपको आध्यात्मिक विकास में मदद कर सकता है। जब आप उनके वचनों को अपनाते हैं और उन्हें अपने जीवन में अमल में लाते हैं, आप अपने आंतरिक आत्मा के साथ संवाद स्थापित करते हैं, और अपने आध्यात्मिक परिपूर्णता की ओर प्रगति करते हैं।